वसंत ऋतू शायरी

  • वसंत में जिसे सब अपना कहते है, 🌸🌿
    पतझड़ में कौन किसका हाल पूछता है। 🍁🍂
  • तुम जब आओगी, 🌸🌼
    तो आएगा वसंत भी, 🌷🌱
    तुम्हारे बिना तो ये जीवन, 🍂🌧️
    सिर्फ सर्द घना-सा कोहरा है। ❄️🌈
  • हरियाली हर ओर है, आमों पर है बौर ।,
    अंत हुआ ऋतु शीत का, है बसंत का दौर । 🌿🍂
  • बौर आम पर आते है, 🚶‍♂️🌳
    मुस्काते है पेड़ों में फूल, 🌼🌿
    वसंत जब आता है तो, 🌸🌱
    उड़ाता है खुशियों के धूल। 🌷✨
  • जीवन का यह बसंत, 🌸🌿
    आप सबको खुशियां दे अनंत, 😊🌼
    प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग 🌟🌈

वसंत ऋतू शायरी

जीवन का यह बसंत, 🌸🌿
आप सबको खुशियां दे अनंत, 😊🌼
प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग 🌟🌈
दोस्ती पतझड़ भरे जीवन में वसंत के समान है,
जिसके आने से जिंदगी में बहार आ जाती है। 🍂🌸
हम-रंग की है दून निकल अशरफ़ी के साथ, 🎨🎭
पाता है आ के रंग-ए-तलाई यहाँ बसंत। 🌈🌟
एक बार बसंत नाम की, 🌼🌈
कोई चीज बनाई जा रही थी, 🎨🌟
जब दुनिया तेरी और मेरी, 🌍🌸
कविता लिख रही थी। 📝✨
मौसम ने छेड़ा यहाँ फिर वसंती राग, 🌸🎶
फूलो का मेला लगा, झूम उठे हैं बाग़, 💐🌿
प्रेम-प्यार बढे, बुझे द्वेष की आग, 💖🔥
वर्ष की है ये दुआ, धुलें क्लेश के दाग। 🌺🌧️
पीली सरसों खेत में, लगती बहुत अनूप, 🌾🌻
लगे धरा ने धर लिया, दुल्हन जैसा रूप। 👰🌾
जोबन पर इन दिनों है बहार-ए-नशात-ए-बाग़, 🌺🌿
लेता है फूल भर के यहाँ झोलियाँ बसंत। 🌼🎒
पतझड़ है औऱ ख़ुशनुमा हालात यह, 🍁🌿
झड़ जाएंगे तेरे भी ख़यालात यह, 🍂🌟
पऱ एक पत्ता अड़ा है इस बात पे, 🍃🍁
कोपलें मेरी ही होंगी फ़िर शाख़ पे। 🍂🌼
जिसने तुम्हें बनाया है निश्चित ही, 💫🌱
उसने वसंत को भी बनाया होगा, 🌸🍃
तुम्हारे छूने से दिल में फूल खिले, 🌷💓
और तुम्हारे चले जाने से पतझड़। 🍂💔
वसंत वह है जब आपका कीचड़ से भरे जूते, 🌦️👢
होते हुए भी सीटी बजाने का मन करें। 🎶🌸
करते हैं सबका भला, सच्चे साधु संत ।, 🙏🌿
जैसे हरियाली करे, पतझड़ बाद बसंत । 🌳🌺
अपने लिए फूल लाने के लिए किसी का इंतजार न करो, 🌷🌿
अपना बाग लगाओ और अपनी आत्मा को सजाओ। 🌺✨
पतझड़ की रूत इतनी आई जिंदगी में, 🍂🕰️
कि हम वसंत का स्वागत करना भूल ही गये। 🌸🌳
चहेरे पर मुस्कान है आज, 😊🌟
हुआ ठण्ड-शीत का अंत, ❄️🍂
पेड़-पौधे भी खुश हो रहे है, 🌿🌼
आ गया मनोहर ऋतु वसंत। 🌸🌱
पुष्पित जीवन कुंज में महके सुख मकरंद, 🌺🌿
ऋतुएँ आएं कोई भी मन में रहे बसंत। 🌸🌼
पतझड़ भी हिस्सा है जिंदगी के मौसम का, 🍁🌬️
फर्क सिर्फ इतना है, 🍂👥
कुदरत में पत्ते सूखते हैं हकीकत में रिश्ते, 🍃❤️
तेरी यादें जैसे मौसम-ए-पतझड़, 🌧️🍁
जब भी आती है बिखेर देती है मुझे 💭🌧️
मन कुछ अपने को ऐसा हल्का पाये, 🤗💭
जैसे कंधों पे रखा बोझ हट जाये, 💪🌅
जैसे भोला सा बचपन फिर से आये, 🧒🌈
जैसे पतझड़ में सारे ग़म झड़ जाये 🍂😌
मां सरस्वती का वरदान हो आपको, 🙏📚
हर दिन नई मिले ख़ुशी आपको, 🌟😊
दुआ हमारी है खुदा से ऐ दोस्त, 🤲🌸
जिन्दगी में सफलता हमेशा मिले आपको। 🌺🎉
खोला कुदरत ने यहाँ, रंगों का भंडार ।,
ऋतु बसंत में लग रहा, सुन्दर यह संसार । 🌈🎨
वसंत में जिसे सब अपना कहते है, 🌸🌿
पतझड़ में कौन किसका हाल पूछता है। 🍁🍂
तुम जब आओगी, 🌸🌼
तो आएगा वसंत भी, 🌷🌱
तुम्हारे बिना तो ये जीवन, 🍂🌧️
सिर्फ सर्द घना-सा कोहरा है। ❄️🌈
हरियाली हर ओर है, आमों पर है बौर ।,
अंत हुआ ऋतु शीत का, है बसंत का दौर । 🌿🍂
बौर आम पर आते है, 🚶‍♂️🌳
मुस्काते है पेड़ों में फूल, 🌼🌿
वसंत जब आता है तो, 🌸🌱
उड़ाता है खुशियों के धूल। 🌷✨
एक फूल धूप के बिना नहीं खिल सकता, 🌼☀️
और एक आदमी प्यार के बिना नहीं रह सकता।, ❤️🌟
वसंत ऋतू की शुभकामनाएं। 🌸🌿
सर्दी को तुम दे दो विदाई वसंत की अब ऋतु है आई, 🍂👋
फूलों से खुशबू लेकर महकती हवा है आई, 🌸🍃
बागों में बहार है आई भंवरों की गुंजन है लाई, 🌼🐝
उड़ रही है पतंग हवा में जैसे तितली यौवन में आई, 🦋🌬️
देखो अब वसंत है आई। 🌸🌿
कमल पुष्प पर आसीत मां, 🌸📚
देती ज्ञान का सागर मां, 🌟🌼
कहती कीचड़ में भी कमल बनो, 🌿🌸
अपने कर्मों से महान बनो 🌺🌟
लेकर मौसम की बहार आया बसंत ऋतू का त्योहार, 🌸🎉
आओ हम सब मिलके मनाये दिल में भर के उमंग और प्यार 💖🌼
आया बसंत फूल भी शोलों में ढल गए, 🌸🔥
मैं चूमने लगा तो मिरे होंट जल गए। 🌺🔥
ख़ाली हाथ अब के गुज़रने न दी पेड़ों ने बसंत, 🌿🍃
पतझड़ आई तो किसी शाख़ पे पत्ता न मिला। 🍂🌳
स साल का यह बसंत आपको खुशियां दें अनंत, 😊🎉
प्रेम और उत्साह से भर दें जीवन में रंग। 🌼🌈
इश्क़ के आते ही मुंह पर मिरे फूली है बसंत, 🌸😊
हो गया ज़र्द ये शागिर्द जब उस्ताद आया। 🌷🎶
इस साल का यह बसंत, 🌸🌿
आपको खुशियां दें अनंत, 😊🌟
प्रेम और उत्साह से, 💖🎉
भर दें जीवन में रंग। 🌈🌼
पीले-पीले सरसों के फूल, पीली उड़ी पतंग रंग, 🌼🎏
बरसे पीले और छाए सरसों की उमंग, 🌟🌿
जीवन में आपके रहे हमेशा बसंत के ये रंग, 🌸🌈
आपके जीवन में बनी रहे खुशियों की तरंग। 💛🌟
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर, ✨🌌
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर, 🌱🌟
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक, 🍂🐦
रात प्राची में अरुणिम की रेख देख पता हूँ, 🌅🎶
गीत नया गाता हूँ। 🎵🌼
क़ुदरत की बरकतें हैं ख़ज़ाना बसंत का, 🌿🌟
क्या ख़ूब क्या अजीब ज़माना बसंत का। 🌸🍃
आई बसंत और खुशियाँ लायी, 🎶🌺
कोयल गाती मधुर गीत, 🐦🎵
प्यार के चारों और जैसे सुगंध छाई, 💖🌼
फूल अनेकों महके बसंत के, 🌸🌿
बसंत आगमन की हार्दिक बधाई। 🌻🌞
हर कठिनाई का हल निकल ही जाता है, 🔍✨
पतझड़ एक दिन बसंत में बदल ही जाता है। 🍂🌷
लो बसंत फिर आई, फूलों पर रंग लायी, 🌸🌿
बजे जल तरंग, मन पर उमंग छायी, 🌊💃
लो बसंत फिर आई। 🌼🌞